सावधान | अगर हर भारतीय छात्र / छात्रा सिर्फ और सिर्फ सरकारी नौकरी पाने के लिये पढाई कर रहे हैं तो उनका यह सपना कभी पूरा नहीं होने वाला – जी हाँ ये बिलकुल सच है | कोई भी सरकार हो या किसी की भी सरकार हो जो बात ऊपर लिखी है वह बिलकुल सत्य है | इसके कई कारण जिन्हें मैं आपके सामने रखूंगा | चुनावी वादों में खोकर सिर्फ झूठे सपने देखने से कुछ नहीं होगा |
1. पहला तो सालों इन्तजार के बाद भी पद निकलते ही नहीं हैं, निकल जाते हैं तो फॉर्म नहीं भरे जाते, फॉर्म भरे जाते हैं एग्जाम नहीं होते, एग्जाम हो जाते हैं तो रिजल्ट नहीं आता, रिजल्ट आ जाता है तो भर्ती नहीं होती, भर्ती के लिये आने के बाद भी अगर कोई सरकारी या कोर्ट की रोक नहीं आये तो..... इसमें एक बात और समझने की है मुख्यतः सभी वैकंसी राज्य या केंद्र के चुनावी साल में निकलती हैं और अगर सरकार बदल जाये तो कई बार उस पर रोक भी लगा देती है |
2. पिछले एक साल से लगभग मैंने बहुत सारे आंकड़ों का बडा नजदीक से आंकलन किया पहले तो Point No. 1 सामने आ जाता है लेकिन अगर पद निकलते हैं तो उनकी संख्या और आवेदक की संख्या, बडी विकराल स्थिति है लगभग .30% से .40% का रिजल्ट रहता है | अभी रेलवे में वैकंसी निकली – 90,000 पद निकले हैं लेकिन 2.5 करोड आवेदन आये हैं अगर सब कुछ ठीक रहता है तब भी 2 करोड 40 लाख 10 हजार का असफल होना निश्चित है | रेलवे तो मात्र उदहारण के लिए है लगभग सभी एग्जाम में यही स्थिति बनी हुई है | जिन्हें बाद में 1 लाख 10 किया इसे लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है |
3. अगर आप इस इन्तजार में हैं की आने वाले समय में यह स्थिति सुधरेगी तो आपकी और बडी भूल है क्योकि अधिकतर सरकारी तंत्र भी प्राइवेट हाथों में जाता जा रहा है या बहुत सारे बंद होने की कगार पर हैं | जिनमें से BSNL को लेकर बार – बार खबरें आती रहती हैं | बिजली, पानी, सड़क, होटल, बैंक, एयर लाइन्स और बहुत कुछ जिनको सरकार प्राइवेट हाथों में देने की और बढ़ रही है और कुछ स्थानों पर दिये भी जा चुके हैं | जब सरकार के पास सिस्टम ही नहीं होगा तो आपको नौकरी देगी किस लिये ? पता चला ज्वाइन की सरकारी नौकरी फिर प्राइवेट हो गये |
4. जैसे – जैसे संसाधन बढे हैं लोग भी प्राइवेट सेक्टर की सर्विस लेना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि ये बडा साफ़ होता जा रहा है सरकारी हॉस्पिटल हो या स्कूल वंहा केवल व्यक्ति पंहुच रहा है जो प्राइवेट सेक्टर की सेवा लेने में सक्षम नहीं है | खुद सरकारी तंत्र में काम करने वालों के सभी बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ रहे हैं | मतलब डिमांड और सप्लाई लॉ, अगर लोगों का रुझान प्राइवेट की तरफ बढ़ेगा तो अपने बहुत सारे संसथान सरकार को ना चाहते हुये भी बंद करने पड़ेंगे जिससे पदों की संख्या में भरी गिरावट आना निश्चित है |
5. पदों की संख्या और आवेदकों की संख्या में यह अंतर ऊपर के कारणों से बढ़ने वाला ही है, ये एक ट्राफिक जाम की तरह की स्थिति है पहले वाले आगे निकल नहीं पा रहे हैं पीछे से और आये जा रहे हैं | आप थोड़ी देर भी ट्रफिक जाम में फंसते हैं तो आपको कैसा लगता ? यंहा आप जिदगी के ट्राफिक जाम में फंसने की और जा रहे हैं |
6. और मिल भी गयी तो क्या हुआ ? ऐसा क्या है सरकारी नौकरी में ? सिर्फ जॉब सिक्यूरिटी – पहला सिक्यूरिटी किसे चाहिये होती है ? जिसको खतरा होता है अगर आपको लगता है कि आपमें वो टैलेंट है तो फिर खतरे से क्या डरना | आप कंही भी हों अच्छा कर ही लेंगे और दूसरा जिस तरह से समय में परिवर्तन हो रहा है | जो लोग अब पुराने लोगों को देख कर सरकारी नौकरी में जाना चाहते हैं, वह पुराने दिनों को भूल जायें क्योंकि अगर सरकारी सिस्टम ने अगर प्राइवेट सिस्टम की तरह काम करना नहीं सिखा तो वह सिस्टम ही प्राइवेट हो जायेगा जिस तरह से रेलवे का घाटा है कोई बडी बात नहीं होगी 10 – 20 साल बाद रेलवे भी किसी प्राइवेट कम्पनी के हाथ में हो |
7. आज के काम करने के तरीके के हिसाब से सरकारें चाहें तो भी आपको नौकरियां नहीं दे सकती या तो उन्हें प्राइवेटाइजेशन करना होगा या प्राइवेट कम्पनियों की तरह काम करना होगा |
8. देश की बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है कि बस हर किसी को सरकारी नौकरी चाहिये आप करना चाहते हैं तो जरुर प्रयास करें लेकिन अपने आप का विकास इस तरह से करें आप नौकरी करने वाले नहीं नौकरी देने वाला बनकर अपना विकास भी करें और देश के विकास में भी सहयोगी बनें