• Effective Conflict Resolution: Achieving Win-Win Solutions

    Conflict Resolution Techniques: Win-Win Solutions
    • Posted By : Admin
    • 2021-06-13
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    आज की बात वाद – विवाद / Conflict अगर हो जायें तो उन्हें कैसे सुलझायें |

     अगर आप हमारी पोस्ट पढेंगे वाद – विवाद से कैसे बचें तो उसमें पढेंगे कि वाद – विवाद होते क्या है | जब दो व्यक्ति एक दुसरे से कुछ अपेक्षा / expectation  रखते हैं और वो पूरी नहीं हो पाती हैं तो वाद – विवाद पैदा हो जाते हैं | तो वाद विवाद सुलझाने का पहला स्टेप है Express your needs according to how to communicate , how to give feedback and how receive feedback अगर व्यक्ति इन बातों को ध्यान नहीं रखता है तो जब वह गलत तरीके से अपनी need को express करता है तो Conflict कम होने की बजाय और बढ़ जाता है |

    Conflict को कैसे सुलझायें जिसकी पहला तरीका है


    Avoiding इसका मतलब है की जिस वजह से वाद – विवाद हुआ है उसे Avoid कर दिया जाए / Ignore कर दिया जाये – ये एक अच्छा तरीका है जब उस बात के दोनों के लिये महत्व बहुत कम हों | जैसे कई बार आपने देखा होगा गाडी चलाते समय सामने से कोई गाडी आ रही होती है और जगह कम होती है कि वंहा से दोनों गाडी एक साथ निकल सकें | अब दोनों लोग गाडी वाले आमने – सामने गाडी लगा कर सड़क पर खड़े हो जाते हैं और एक दुसरे से लड़ाई झगडा करने लग जाते हैं | ऐसे में Avoiding is the best technique जब उस बात पर वाद विवाद करना दोनों के लिये बहुत महत्व का ना हो | जैसे कभी – कभी लोग राजनितिक पार्टियों के विषय में बात करते – करते इतने आक्रोशित हो जाते हैं की बड़े बड़े विवाद पैदा हो जाते हैं जबकि जो व्यक्ति बात कर रहे थे उनका उस विषय से दूर से दूर तक कोई लेना देना नहीं था लेकिन अगर दोनों में से किसी के लिये भी Situation महत्वपूर्ण है तो avoid करना एक अच्छा तरीका नहीं कहा जा सकता | जैसे अगर Relation आदि में कई बार व्यक्ति महत्वपूर्ण विषय को avoid  करता है लेकिन बाद में वो बड़ी समस्या बन कर सामने आते हैं जिनका उस समय समाधान मुश्किल हो जाता है | जैसे कई बार हमें छोटी सी बीमारी होती है और हम उसे छोटी समझ कर Avoid करते रहते हैं और ना दवाई लेते हैं / ना डॉक्टर को दिखाते हैं जब बात बढ़ जाती तब डॉक्टर के पास जाते हैं इसी तरह से वाद विवाद में होता है | अगर आपको लगता है सीधे – सीधे आप वाद – विवाद नहीं सुलझा सकते हैं तो किसी को एक Mediator की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन वह व्यक्ति समझदार और Unbiased होना चाहिये अन्यथा वाद – विवाद और बढ़ सकता है |

     Competing / Dominating ये वाद – विवाद को सुलझाने का वो तरीका है जंहा आप किसी भी स्थिति में सामने वाले पर जीत हासिल करना चाहते हो | ये एक Emergency तरीका है जो मुख्यतः Battle field / Sports में इस्तेमाल होता है | अगर इसको Sports में भी बेवजह इस्तेमाल करा जाता है तो उसे Sledging   कहते हैं | ये वो स्थिति है जब आपको लगता है इसमें जीत की जरुरत सामने वाले से ज्यादा आपको है और किसी भी कीमत पर जीतना चाहते हो | कहते हैं ना साम , दाम , दंड , भेद कैसे भी मुझे ही जीतना है | इस स्थिति में कई बार व्यक्ति मोरल  वैल्यूज पर भी compromise कर लेता है जिसके लिये कई बार आगे चल कर बहुत पछताना भी पड़ता है | Competing वो स्टेज है जंहा आदमी सही गलत के फर्क को भूल जाता है – घरों की हिंसा में एक बहुत बडा कारण यही होता है | घर युद्ध के मैदान क्यों बन गये है क्योंकि वाद – विवाद को सुलझाने के लिये Competing / Dominating style का इस्तेमाल होने लगा है व्यक्ति किसी भी कीमत पर अपने आप को सही साबित करना चाहते हैं  | घर में भी ये Style केवल emergency situation के लिये है लेकिन व्यक्ति सबसे पहले इसी को इस्तेमाल करने लगा है | बेवजह Dominate करना Bullying कहलाता है जो बिलकुल भी सही नहीं है इसके बहुत गंभीर परिणाम हो सकते हैं | बस हर व्यक्ति अपने आपको और अपनी बात को सही साबित करने पर अडा हुआ है जो कि बहुत घातक है | ये अंतिम हथियार है जब और रास्ते बंद हो जायें और Situation बहुत critical हो तभी इसको इस्तेमाल करना चाहिये बेवजह इसका इस्तेमाल आगे चल कर और बहुत सारे वाद विवाद को जन्म दे सकता है |

     
    Accommodating ये वो स्थिति है जब सामने वाले को मतलब की दुसरे व्यक्ति आपसे ज्यादा जरुरत है और आप कहते हैं कोई बात नहीं इसकी तुम्हे ज्यादा जरुरत है ये चीज तुम ले लो / ये काम पहले तुम कर लो आदि लेकिन इसमें जो sacrifice आप सामने वाले के लिये कर रहे हैं वो Unconditional होना चाहिये | वो मन मार कर नहीं होना चाहिये , वो किसी दवाब में नहीं होना चाहिये तब ये वाद – विवाद को सुलझाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है लेकिन अगर पूरी तरह से संतुष्ट होये बिना accommodate कर रहे हो या किसी दवाब में आपको सामने वाले के लिये वो काम करना पड़ रहा है | तो वो भविष्य में विपरीत परिस्थितयों को जन्म दे सकता है | अगर इसको सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इससे भविष्य में रिश्ते अच्छे हो सकते हैं | इसका बेस्ट Example  है माता – पिता जो अपने बच्चों के लिये जिन्दगी भर unconditional sacrifice करते हैं | कहते ना अगर कभी कमी हो तो मां खुद भूखी सो जाती है | पिता कितनी भी समस्या में हों लेकिन बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिये दिन – रात मेहनत करते हैं | - ये तो हो गया  Accommodation का best तरीका लेकिन अगर माता – पिता की सम्पति का बंटवारा हो और ये निर्णय करना पडे की माता पिता किसके साथ रहेंगे और चारों भाई एक दुसरे की तरफ देखें और सोचें की अब इनका बोझ कौन उठायेगा और एक शर्म या समाज के दवाब में रखने को तैयार हो जाता है तो ये Accommodation का ख़राब तरीका है | क्योंकि ये उसके लिये भी और माता पिता के लिये भी समस्या का कारण बना रहेगा , बागबान फिल्म में इसको बहुत अच्छे से प्रदर्शित किया गया है | ( वैसे तो माता के लिये कुछ करना sacrifice नहीं है लेकिन आज जिस तरह की स्थिति , परिस्थितयाँ हो गयी हैं उन्हें देख कर ऐसा लिखना पडा ) जब पूरी तरह खुले दिल से किसी के लिये कुछ sacrifice किया जाता है उसे Accommodation का best तरीका कह सकते हैं | जैसे देश भक्तों ने देश की आजादी के लिये अपने प्राण तक दे दिए जिससे आने वाली पीढियां आजादी की सांस ले सकें |

     Compromisingये वो स्थिति है जब जिस बात को लेकर conflict है उसका आपके लिये भी व सामने वाले के लिये भी महत्त्व है | Generally लोग इसको एक बहुत अच्छा Option मानते हैं कहते हैं कोई बात नहीं Compromise कर लो लेकिन practically ये Win – Win नहीं Lose – Lose Situation है | जिसमें दोनों में से किसी को फायदा नहीं हुआ | It’s like tie. ये उस समय का रास्ता है जब दोनों तरफ से समस्या का कोई समाधान नहीं दिखाई दे रहा हो और समस्या का समाधान करना जरुरी हो लेकिन ये सिमेंट की जगह मिट्टी के लेप की तरह है ये कच्चा रास्ता है थोडा सा भी आघात पुनः समस्या को और बड़े रूप में सामने ला सकता है | आपने लोगों को बहुत बार वर्तमान की बातों को छोड़ कर पुरानी बातों पर लड़ते देखा होगा उसका मुख्य कारण यही होता है कि उस समय उस वाद – विवाद को सही तरीके से नहीं सुलझाया गया हो | इसमें कुछ बातों को ध्यान रखना आवश्यक है – Compromise के दौरान आप किस बात पर सहमत हो रहे हैं क्या वो आप लम्बे समय तक कर पायेंगे या नहीं , जिस बात पर सामने वाला compromise कर रहा है वह बात उसके लिये कितनी महत्वपूर्ण है, क्या वह लम्बे समय तक अपनी बात पर रह पायेगा | दोनों पार्टी बराबर compromise कर रही हैं या नहीं – अगर आप इन बातों को और ऐसी अन्य बातें भी हो सकती हैं - ध्यान में रख कर compromise  कर रहे हैं तो फिर भी कुछ रिजल्ट निकल सकता है अन्यथा It’s just like killing yourself or other . एक और महत्वपूर्ण बात उन बातों को ध्यान रखें जो आपके लिये कम महत्त्व की और सामने वाले के लिये अधिक महत्व की हैं उन पर पहले compromise करें जिससे सामने वाला भी सहमति की और बढे | अगर केवल Compromise कर रहे हैं बिना किसी बात को ध्यान रखे तो ये सिर्फ इस तरह है - Example ये उस तरह से है जैसे कोई दूकानदार आपको कोई वस्तु 1000 में बेचना चाहता है और 900 रूपये में खरीदना चाहते हैं अंत में ये निर्णय होता है वो साथ में आपको एक गिफ्ट दे रहा है जिसकी कीमत 50 रूपये है लेकिन आपके लिये वह किसी काम का नहीं है लेकिन दूकानदार वह किसी और को बेच सकता था या दे सकता था जिससे उसका या किसी और का फायदा हो सकता था | मतलब की compromise lose- lose situation है इसमें  ना आपका फायदा होता है ना सामने वाले का | compromising और accommodating में अंतर होता है दोनों पोस्ट को एक साथ पढेंगे तो ज्यादा अच्छे से समझ आ पायेगा |  

     Collaborating ये वाद विवाद सुलझाने का Best / Gold standard process है | इसे Win – Win situation  भी कह सकते हैं | रिसर्च बताती हैं कि 80 % Conflicts को collaboration  के द्वारा सुलझाया जा सकता है लेकिन इसमें एक दुसरे पर Trust करना और एक दुसरे की बात को समझना बहुत जरुरी है | इसमें थोडा सा टाइम लगता है इसके लिये धैर्य की आयश्यकता होती है | इसके लिये सबकी बातों को ध्यान पूर्वक सुनना जरुरी होता है | ये एक ऐसा प्रोसेस है जिसमें सभी की बातों को , सभी के वैल्यू सिस्टम को ध्यान रखा जाता है | ये ऐसा Creative process है जिससे बहुत सारे innovative  काम भी किये जाते हैं | मतलब की इसमें दोनों पार्टी जिनके बीच वाद विवाद है – उन दोनों के जो अच्छे – अच्छे विचार हैं / दोनों की जो – जो strengths हैं उन्हें Unbiased तरीके से एक साथ मिलाकर एक ऐसा रास्ता खोजना जिस पर दोनों पार्टियाँ सहमत हों और दोनों का फायदा हो और दोनों साथ मिलकर काम करने को तैयार हों |  आज बहुत सारी बडी बडी कम्पनियों के Merger / Joint venture  इसके अच्छे example हो सकते हैं | HERO HONDA ( Hero अलग कम्पनी थी और Honda ) दोनों ने साथ मिलकर बहुत अच्छा Perform किया | ऐसे ही Maruti – Suzuki , Tata – Sky . Tata steel – Corus, Vodafone – Hutch and Essar,    ये वो स्थिति है जब दो व्यक्ति लड़ने की बजाय दोनों के फायदे के लिये साथ मिलकर काम करने को तैयार हो जायें जिसकी जो Strength हो वो उस काम को करे | इसमें सबसे इम्पोर्टेन्ट बात है Partner has to be chosen very carefully.